Wednesday, October 07, 2009

हमारे कामरेड मनीष भइया

हमारे कामरेड मनीष भइया आज कल AISA के किसी बड़े पोस्ट पर है । लेकिन मिलने पर वही आत्मीयता और वही नॉकजोक कभी कभी हमारे विचारो में मेल नही खता और शुरू हो जाती है बहस । लेकिन बहस के बाद हम फ़िर वही पहुँच जाते है जहा से हमने शुरू किया था । मनीष भइया के प्रयत्नों को देख कर यही लगता है की हमारी राजनीति के सच्चे युवा पहरुआ शायद आज भी संघर्ष के दौर में है । वंश वाद से दूर नीजी चैनेलो के फोकस से दूर यह केवल अपने काम करते है । ये चुनाव जीतने के बाद स्विट्जरलैंड chuttiya नही मनाने जाते । गरीबो के यहां dunlop के गद्दे पर नही सोते। ये केवल अपना कार्य करते है ये करिश्माई पोस्टर बॉय भी नही । आज मनीष भइया जैसे कितने कार्यकर्ता है जो केवल अपना काम करते है और उन्होंने कभी भी चुनाव के बारे में सोचा भी नही । कारण साफ़ है क्यों की राज नीति की पकड़ शायद डिम्पल यादव (मुलायम सिंह यादव की बहु) जैसे समझदार हाथो में देने के बात की जा रही है । इसीलिए शायद किसी नेता ने कहा था की नेता और कार्यकर्त्ता में फर्क होता है और अगर सभी कार्यकर्ता नेता बन जायेंगे तो ज़मीन पर काम कौन करेगा जाहिर है राहुल के पास अभी और भी काम है ।