Thursday, October 23, 2008
भागो भागो मंदी आई
पुराने समय की कथा है जिसमे भगवान् ने अपने भक्त से कहा की मांगो क्या मांगते हो लेकिन तुमको जो दूंगा तुम्हारे पड़ोसी को दो दूंगा भक्त ने कहा भगवान् मई काना हो जाऊं ताकि मेरा पड़ोसी अँधा हो जाए । आज मंदी का दौर चल रह है ब्लू चिप कंपनियों पर ब्लैक लिस्टेड होने का खतरा मंडरा रहा है । sensex के नीचे गिरने के रिकॉर्ड बनते जा रहे है । उद्योगपति हर घंटे करोडो का घाटा सहा रहे है बाज़ार को सूझ नही रहा किधर जाए सरे अर्थशास्त्री इस वक्त अपने घर का बजट सम्हाल रहे है लेकिन ऐसे में राय साहब बहुत खुश है क्योंकि पड़ोस के शुक्ला जी के लड़के की नौकरी चली गई लड़का mnc में काम करता था हालाँकि नौकरी तो राय साहब के लड़के की भी चली गई लेकिन शुक्ला जी का लड़का ज्यादा जो कमाता था । यही सोच कर राय साहब खुश है । जहा तक मंदी का सवाल है तो मंदी तो पहले भी आई थी और जब गई तो विश्व युद्ध करवाते गई । इस बार फ़िर मंदी आई है जाने क्या होगा । सभी देश आशंकित है जाने इस बार क्या होगा क्योंकि मंदी स्थिति परिस्थिति और मनोदशा सब बदल देती है समाजवाद , पूंजीवाद फ़िर से परिभाषित होता है । आज फ़िर से सभी चीजो को परिभाषित करने का वक्त आ गया है क्योंकि मंदी सब लुटा देती है चाहे बाज़ार हो या सपने । और जब सपने मरेंगे तब सपनो का मोल होगा और सपने बिकेंगे और फ़िर तब बाज़ार बनेगा ।
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