Thursday, October 23, 2008

मेरे बाप ने शेर को जन्म दिया है।

ये लाइन किसी और ने नही बल्कि कभी मुंबई के सर नुमाया रहे बाल ठाकरे के बाल उद्धव ने कही है लेकिन प्रश्न तो ये उठा है की शेर तो जंगल में घूमता है जहा वो हिरनों और कमजोर जानवरों का शिकार करता है तो क्या मुंबई भी जंगल हो चुकी है । हाल की घटनाओं ने तो शायद यह सोचने पर मजबूर कर दिया है की मुंबई भी अब जंगल बन चुका है जहाँ दो जानवर अपने प्रभु सत्ता के लिया जूझ रहे है । ....................

7 comments:

शोभा said...

बहुत अच्छा लिखा है. आपका स्वागत है.

डा० अमर कुमार said...

ठीक तो है,
वह स्वीकार कर तो रहा है कि,
वह एक हिंस्त्र जानवर है !

संगीता पुरी said...

नए चिट्ठे के साथ हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है...अच्छा लिखते हैं आप ... आशा है आप अपनी प्रतिभा से चिट्ठा जगत को समृद्ध करेंगे.... हमारी शुभकामनाएं भी आपके साथ है।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

no comment about sher

Unknown said...

kya baat hai bhai sahab!!!wah!!

रचना गौड़ ’भारती’ said...

अच्छा लिखा है.

Anonymous said...

law and order is primiary duty of state..and law is mighter then sher... so implementation of law is needed to control your pesonified sher..