ये लाइन किसी और ने नही बल्कि कभी मुंबई के सर नुमाया रहे बाल ठाकरे के बाल उद्धव ने कही है लेकिन प्रश्न तो ये उठा है की शेर तो जंगल में घूमता है जहा वो हिरनों और कमजोर जानवरों का शिकार करता है तो क्या मुंबई भी जंगल हो चुकी है । हाल की घटनाओं ने तो शायद यह सोचने पर मजबूर कर दिया है की मुंबई भी अब जंगल बन चुका है जहाँ दो जानवर अपने प्रभु सत्ता के लिया जूझ रहे है । ....................
7 comments:
बहुत अच्छा लिखा है. आपका स्वागत है.
ठीक तो है,
वह स्वीकार कर तो रहा है कि,
वह एक हिंस्त्र जानवर है !
नए चिट्ठे के साथ हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है...अच्छा लिखते हैं आप ... आशा है आप अपनी प्रतिभा से चिट्ठा जगत को समृद्ध करेंगे.... हमारी शुभकामनाएं भी आपके साथ है।
no comment about sher
kya baat hai bhai sahab!!!wah!!
अच्छा लिखा है.
law and order is primiary duty of state..and law is mighter then sher... so implementation of law is needed to control your pesonified sher..
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