Thursday, October 30, 2008

सियासत गरम है : रोटियां सेंक लो

ठण्ड के इस मौसम में जब बाज़ार भी ठंडा है तब अगर कुछ गरम है तो वह है सियासत । बात महारास्ट्र की है जहा राज ठाकरे , बाल ठाकरे( यहाँ उद्धव ठाकरे की ही बात करेंगे ) और कांग्रेस teeno ही रोटियां सेंक रहे है । पहले शिव सेना ने मराठी मानुस की गोटी फेंकी, गोटी सेट बैठी क्योंकि मराठियों को ही अपनी अस्मिता का खतरा सबसे अधिक रहता है । अब उसी दावं को उनके भतीजे ने फेंका, देखने वाली बात होगी की इस बार ऊंट किस ओर करवट लेगा । इस राजनीती में अगर कोई पिस रहा है तो वो है उत्तर भारतीय ,चाहे गाजीपुर के डॉक्टर बंधू हों. गोरखपुर का धर्मराज ho ya पटना का राहुल सब maharastrian गुंडों की दया से (यम्)राज की भेंट चढ़ गए । मुद्दा गरम हुआ और हमारे राजनेता जो चिता में भी तंदूरी रोटी बनाने का अवसर खोजते है उन्होंने ने अपनी रोटियां सेकनी शुरू कर दी । आखिर चुनाव जो है सर पर मुद्दा तो चाहिए । लालू ने ट्रेन बंद करने की बात की तो रामविलास ने कांग्रेस को कोसा लेकिन जड़ तक कोई नही गया ।
अगर कश्मीर के अलगाव वादियों ने कश्मीर से कश्मीरी पंडितो को विस्थापित किया तो वो आतंकवादी की हद में आ गए यहाँ पर भी तो वैसी ही स्थिति हो चली है । प्रश्न यह उठता है की क्यों महारास्ट्र में ही अलगाव की राजनीती फलती फूलती है कारण साफ़ है क्यों की मराठियों को ही लगता है की वो सबसे अधिक सताए गए है और उनकी चीज़ों को उत्तर भारतियों ने लूटा है लेकिन यहाँ ऐसा नही है क्योंकि मुंबई को मुंबई उत्त भारतियों ने बनाया है न की मराठियों ने । ये देखने वाली बात होगी की अलगाव का जहर जो राज ने बोया है वो कहा तक पनपेगा और उसका जहरीला फल कौन चखेगा क्योंकि ये इंडिया है बीडू यहाँ कोई करता है कोई भरता है ।

No comments: